Saturday, October 11, 2008

हमारा भारत जिंदाबाद.........

कुछ ही दिनों पहले की घटना लिख रहा हूँ। समय शाम के लगभग ६.३५। हमारी हमारी मुख्य सड़क पर एक accident हो गया है। कुछ देर पश्चात् ज्ञात हुआ की एक तेज रफ्तार ट्रक ने एक १६ वर्षीय युवक का सर कुचल दिया है और युवक की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई है। हर दुर्घटना की तरह यहाँ भी काफी भीड़ एकाठ्ठी हो गयी थी। वहाँ पहुचने पर ज्ञात हुआ की ट्रक तो वही खडा है पर ड्राईवर निकल कर भाग गया हैं। जेब में मिले कागजों से पता चला की लड़का हमारे ही मोहल्ले में पीछे रहता था और कुछ देर में ही उसके घर पर खबर भिजवाई गई। खबर सुनते ही माँ के मुह से तो कुछ निकल ही नहीं पाया सिवाय बेटे के नाम के और उसके बाद उसे चक्कर आ गया। पिता भी सुनते ही एकदम सन्न। चेहरे का रंग ही गायब हो गया। खैर किसी तरह उन्हें घटनास्थल तक लाया गया और भीड़ को हटाते हुए वे मृत बेटे तक पहुचे तो पर शव की हालत को वो भी बर्दाश्त न कर पाए। अब तक हमारे सभासद महोदय को भी ख़बर मिल गयी थी । वे भी घटनास्थल पर पहुच गए। हमेशा की तरह शव को बीच में रखकर रास्ता जाम कर दिया गया। थोडी देर में मीडिया वालो के लिए मसाला तैयार हो गया और वो सब भी टूट पड़े आके भूखे शेर की तरह। फिर क्या था, पूरे लखनऊ महकमे में ख़बर फ़ैल गयी "सीतापुर रोड पर दुर्घटना, शव रखकर मुख्य मार्ग बंद किया गया"।

धीरे धीरे घंटा ३० मिनट बीत गया सभासद महोदय, उनके सहयोगी, और मोहल्ले के अललटप्पू नेता, उनके चमचे आदि सब वही के वही जमा हो गए और शुरू हो गई राजनीती। डी.एम् को बुलाओ, एस.पी को बुलाओ, मुख्यमंत्री को बुलाओ। किसी को उस लड़के के रोते हुए माँ बाप की फिकर नही हो रही है सब के सब अपनी ऊची करने में लगे हुए हैं। चैनल्स पर लाइव टेलीकास्ट दिखाया जा रहा है। बीच बीच में आवाजे सुनाई पड़ती हैं, डी०एम० साहब चल चुके हैं। थोड़े देर इन्तजार करने के बाद फिर पता चलता है, आई टी चौराहे के जाम में फंसे हुए हैं, २० मिनट में पहुच रहे हैं। ३७ मिनट बीत जाते हैं। सभासद महोदय का मोबाइल बजता है, लालजी टंडन आ रहे हैं पीछे से ख़बर आती है एस०पी०, लखनऊ पक्के पुल तक पहुच गए हैं।

लगभग पौने तीन घंटे बाद एक लालबत्ती वाली गाड़ी डालीगंज क्रॉसिंग की तरफ़ से आती हुई दिखाई देती है। किसका एक्सीडेंट, कौन माँ-बाप, क्या हुआ है , हर चीज से मतलब छोड़ ८० प्रतिशत पब्लिक उस एक लालबत्ती गाड़ी की तरफ़ दौड़ती है, के कौन आ रहा है? गाड़ी आकर रूकती है और मा० लालजी टंडन, एक पार्टी के वरिष्ठ नेता जी घटनास्थल पर अपने चरणकमल रखते हैं। क्या घटना घटी है, किस हेतु इकठ्ठे हुए हैं, सब कुछ भूलकर, एक बार फिर राम-नाम सत्य है की जगह, लालजी टंडन जिंदाबाद की आवाजे जोरशोर से सुनाई देने लगती हैं उसी पार्टी के विधायक महोदय एवं उनके चेले लग जाते है अपने अपने काम में।

जानकारी लेने के कुछ देर बाद डी०एम० साहब और एस०पी० लखनऊ लगभग साथ साथ घटनास्थल पर पहुचते हैं। ट्रक पुलिस के हावाले कर दी जाती है, मृत व्यक्ति के परिवार को २ लाख मुआवजे की रकम घोषित कर दी जाती है। इतनी महानता दिखने के बाद सभी के सभी गनमान्य अपने अपने वाहनों में विराजमान होकर विदा होने लगते हैं। एक बार फिर से लालजी टंडन जिंदाबाद, मुन्ना मिश्रा जिंदाबाद के आवाजे सुनाई देने लगती हैं। धीरे धीरे भीड़ कम होने लगती है रात के ११.२० बज भी तो गए है खाना भी तो खाना है सोना भी तो है कल नए मुद्दे भी तो खोजने हैं आगे की राजनीती के लिए। जाम हटा लिया गया शव को पोस्ट मोर्तेम के लिए भेज दिया गया है। साथ में मृत लड़के के पिता, उसके चाचा, उसका एक और बड़ा भाई और एक एक दो लोग मोहल्ले के ताकि रस्ते में पिता के रूप में एक और दुर्घटना न हो जाए। एक बार फिर लालजी टंडन जिंदाबाद, मुन्ना मिश्रा जिंदाबाद के स्वर सुने देने लगते हैं

अगली सुबह लखनऊ की ये सीतापुर रोड फिर से वैसे ही व्यस्त हो जाती है। दुर्घटना के स्थान पर काफी जादा mattra में रक्त के निशान नजर आ रहे हैं जो उन लोगो के लिए हैं जो कल रात यहाँ नही पहुच पाए

हमारा भारत जिंदाबाद.........

मनीष दीक्षित

Wednesday, October 8, 2008

हार्दिक अभिनन्दन




सभी को नमस्कार और हमारे नए ब्लॉग पर हार्दिक अभिनन्दन

अक्सर हमारे आसपास कुछ न कुछ हमेशा घटित होता रहता है और हम सभी अपने अपने घरों में उन बातो के बारे में अपने अपने विचार प्रकट किया करते हैं हम क्यों नहीं खुल के सामने आते हैं कभी हमारे देश में संसद भवन पर हमला हो जाता है, तो कभी हमारे घर के पास बन रहा ओवरब्रिज अचानक गिर जाता है और माननीय मुख्यमंत्री जी आकर दो-चार लोगो के उपर अपनी जिम्मेदारी डालकर रफूचक्कर हो जाती हैं हम टीवी पर समाचार सुनते जाते हैं की ३ की मृत्यु जानते हुए भी की घटनास्थल पर हमें पीएसी लगाकर इसीलिए जाने नहीं दिया गया था की हम मरने वालो की सही संख्या न जान पायें
खैर आज भी ताकत घटी नहीं है बँट जरुर गयी है
जो वास्तव में सिर्फ बातो में विस्वास नही रखते हैं बल्कि अपनी बेबाक टिप्पणियो से कुछ लोगों को जगा सकते हैं, मैं तहे दिल से उन सब महानुभावो का स्वागत करता हु अपने इस ब्लॉग पर
आशा करता हूँ की हम अपने इस अभियान को जो अब तक आप समझ ही गए होंगे, को आगे की और ले जायेंगे


साथी हाथ बढ़ाना, एक अकेला थक जाये तो मिलकर बोझ उठाना
साथी हाथ ........


मनीष दीक्षित